जीएसटी में ई-वे बिल जुलाई नहीं सितंबर से, जानें ई-वे बिल के मुख्य प्रावधान: जीएसटी 1 जुलाई से लागू होने जा रहा है लेकिन सामान की ढुलाई के लिए जरूरी ई-वे बिल सितंबर से अमल में आएगा यह जानकारी सूत्रों ने दी है नई व्यवस्था में ₹50000 रुपए से ज्यादा के सामान की ढुलाई के लिए ई-वे बिल जरूरी होगा अभी तक ई-वे बिल के फाइनल रूल्स नहीं आए हैं ड्राफ्ट नियमों में जो प्रावधान बताए गए हैं उनसे ट्रांसपोर्टेशन नाखुश है उनका कहना है कि यह प्रावधान व्यवहारिक नहीं इससे उनकी लागत अनावश्यक रुप से बढ़ जाएगी...
जीएसटी में ई-वे बिल जुलाई नहीं सितंबर से, जानें ई-वे बिल के मुख्य प्रावधान
जीएसटी में ई-वे बिल जुलाई नहीं सितंबर से, जानें ई-वे बिल के मुख्य प्रावधान
रियाणा ट्रक एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट ने बताया कि गाड़ी खराब होने पर बीच में ट्रक बदलना पड़ता है जीएसटी नियमों के मुताबिक ऐसी स्थिति में ट्रांसपोर्टर को नया ई-वे बिल जनरेट करना पड़ेगा इसके अलावा गाड़ी में कई लोगों का सामान है तो सबके बिल को मिलाकर नया कंसोलिडेटेड ई-वे बिल बनाना पड़ेगा उन्होंने कहा कि बिल पूरी तरह से सामान भेजने वाले की जिम्मेदारी होनी चाहिए उन्होंने बताया कि सभी ट्रांसपोर्टर के लिए सर्विस टैक्स नंबर लेना जरूरी नहीं पंचायत कंसाई नहीं (जिसे सामान भेजा) से 4.5% टैक्स लेता है और जमा कराता है यही व्यवस्था जीएसटी में भी रहनी चाहिए ट्रांसपोर्टर को अनावश्यक बीच में लाया जा रहा है इसके अलावा कितने राज्यों में उनका बिजनेस होगा हर जगह रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा रजिस्ट्रेशन के लिए ऑफिस भी चाहिए यह अतिरिक्त खर्च होगा इस नियम से छोटे ट्रांसपोर्टर बुरी तरह प्रभावित होंगे उनके लिए बाजार में बने रहना मुश्किल हो जाएगा एक और समस्या शिक्षा की है इस बिजनेस में कम लोग ही पढ़े लिखे हैं जीएसटी नियमों के पालन के लिए उन्हें आदमी रखना पड़ेगा जो अतिरिक्त खर्च होगाई-वे बिल के मुख्य प्रावधान
- सामान भेजने वाले या ट्रांसपोर्टर को ई-वे बिल ( Form GST INS-01) जनरेट करना पड़ेगा सामान की कीमत ₹50000 रुपए से कम है तो ई-वे बिल वैकल्पिक होगा
- सामान भेजने वाले ने ई-वे बिल नहीं बनाया तो ट्रांसपोर्टर को इनवॉइस के आधार पर बिल जनरेट करना पड़ेगा बिल 24 घंटे में रद्द किया जा सकता है
- ट्रांसपोर्टर बीच रास्ते में गाड़ी बदलता है तो उसे नया ई-वे बिल जनरेट करना पड़ेगा
- ट्रक में एक से अधिक व्यक्ति या कंपनी का सामान है तो ट्रांसपोर्टरों को एक कंसोलिडेटेड बिल (Form GST INS-02) जनरेट करना होगा इसमें हर कंसाइनमेंट के ई-वे बिल नंबर का जिक्र होगा
- ड्राइवर को सामान का इनवॉइस और ई-बे बिल की कॉपी अपने साथ रखने पड़ेगी ई-बे बिल नंबर को RFID डीवाई में भी मैप किया जा सकता है
- टैक्स अधिकारी को गाड़ी रोक कर सामान और बिल की जांच करने का अधिकार होगा किसी भी गाड़ी को एक राज्य में एक बार ही चेक किया जा सकेगा
- टैक्स अधिकारी ने 30 मिनट से ज्यादा गाड़ी रोकी तो ट्रांसपोर्टर इसकी ऑनलाइन जानकारी ( Form GST INS-04) दे सकते हैं
1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन होगी बिल की वैलिडिटी
सामान ले जाने की दूरी | वैलिडिटी अवधि |
100 किमी से कम | 1 दिन |
100-300 | 3 दिन |
300-500 | 5 दिन |
500-1000 | 10 दिन |
1000 किमी से ज्यादा | 15 दिन |