सरकार ने GST में एक्सपोटर्स के लिए जारी की गाइडलाइन, बिना GSTIN के नहीं होगा एक्सपोर्ट: गुड्स और सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद उसको लेकर एक्सपोटर्स कन्फ्यूजन था, जिसकी वजह से उनके कई कन्साइनमेंट पोर्ट पर अटक गए थे। इस कन्फ्यूजन को लेकर एक्सपोटर्स सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज और कस्टम (सीबीईसी) के अधिकारियों से मिले, जिसके बाद सरकार ने एक्सपोटर्स को लेकर गाइडलाइंस जारी कर दी। जिसमें उन्होंने शिपिंग ऑर्डर, शिपिंग बिल, बॉन्ड, जीएसटीआईएन आदि को लेकर क्लैरिफिकेशन दिया है।
सरकार ने GST में एक्सपोटर्स के लिए जारी की गाइडलाइन
GSTIN लेना होगा जरूरी
सभी तरह के एक्सपोटर्स को एक्सपोर्ट के लिए जीएसटीआईएन नंबर लेना होगा। इसके बगैर वह एक्सपोर्ट नहीं कर पाएंगे। सभी एक्सपोटर्स के पास जीएसटीआईएन नंबर लेने के लिए तीन महीने का समय है। जीएसटी में रजिस्ट्रेशन की विंडो तीन महीने के लिए खुली हुई है।एक्सपोटर्स ऐसे बनाएंगे शिपिंग बिल
- अगर एक्सपोर्ट प्रोडक्ट पर जीएसटी डोमेस्टिक क्लीयरेंस की जरूरत है तो काराबारी को शिपिंग बिल पर जीएसटी नंबर लिखना होगा
- ऐसे प्रोडक्ट जिन पर जीएसटी नहीं लगता या वह जीएसटी टैक्स स्ट्रक्चर से बाहर हैं, तो उन पर पैन कार्ड की डिटेल देनी होगी। कारोबारी को उसी पैन कार्ड की डिटेल देनी होगी जिसकी इंपोर्ट-एक्सपोर्ट कोडिंग डीजीएफटी के पास है।
- अगर स्पेशल एजेंसी जैसे यूनाईटेड नेशन ऑर्गनाइजेशन, नोटिफाइड मल्टीलैटरल फाइनेंशियल इंस्टीट्युट, एंबेसी और कॉन्सुलेट्स को एक्सपोर्ट कर कर रहे हैं, तो शिपिंग बिल पर जीएसटीएन की जगह यूनीक आइडेंटिटी नंबर (यूआईएन) देना होगा।
- बिना जीएसटीआईएन, यूआईएन और पैन कार्ड के बगैर शिपिंग बिल नहीं भरा जा सकता।
- आईजीएसटी रिफंड और इन्पुट टैक्स क्रेडिट जीएसटीआईएन और जीएसटी इन्वॉइस के बगैर प्रोसेस नहीं होगा। शिपिंग बिल पर जीएसटी होना जरूरी है।
- कमर्शियल इन्वॉइस की जानकारी शिपिंग बिल में होनी चाहिए। कमर्शियल इन्वॉइस टैक्स इन्वॉइस से अलग है इसलिए दोनों की जानकारी शिपिंग बिल में होनी चाहिए।
- रिफंड के लिए टैक्सेबल वैल्यु के साथ ही टैक्स अमाउंट शिपिंग बिल पर लिखा होना चाहिए।
- स्टेट कोड की जानकारी जीएसटीआईएन नंबर में है लेकिन कारोबारी को शिपिंग बिल पर स्टेट ऑफ ऑरिजन; पर कारोबार के ऑरिजन और स्टेट कोड दोनों की जानकारी देनी होगी।
शिपिंग बिल पर भरना होगा बॉन्ड
सिर्फ ये लोग बॉन्ड की जगह लेटर ऑफ अंडरटेकिंग दे सकते हैं..
1 जिसे फॉरेन ट्रेड पॉलिसी 2015-2020 में स्टेटस होल्डर माना गया हो।2 जिसे 10 फीसदी फॉरेन रेमिटेंस अमाउंट (ये एक करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिए।) मिल चुका है वह लेटर ऑफ अंडरटेकिंग भर सकता है।
- बॉन्ड नॉन ज्युडिशियल स्टैंप पेपर पर बनाना होगा।
- एक्सपोर्टर्स के ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर बॉन्ड की बैंक गारन्टी भी जमा करानी होगी।