GST को ऐसे समझिए, GST क्या है? जानिए क्या है जीएसटी और उससे जुड़ी अहम बातें, GST bill is passed in Lock Sabha on 29-03-2017 with all amedments and we expect that GST is applicable from 1st July 2017. गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) से जुड़े 4 बिल लोकसभा से बुधवार (29th March 2017) को पास हो गए। अब GST का 1 जुलाई से लागू होना तय माना जा रहा है। फाइनेंस सेक्रेटरी अशोक लवासा ने एसोचैम के प्रोग्राम में कह भी दिया कि इंडस्ट्री को 1 जुलाई के हिसाब से तैयारी कर लेनी चाहिए। हालांकि, सरकार ने बिल में प्रोविजन्स को अलग-अलग तारीखों पर लागू करने की बात रखी है। नए बिल में केंद्र और राज्य मिलकर मैक्सिमम 40% तक टैक्स लगा सकते हैं। रिटर्न तीन महीने के बदले हर महीने भरना होगा। साथ ही टैक्स चोरी या गलत रिफंड जैसे मामलों में दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। जीएसटी से जुड़ी बहुत सी बातें नियम तय होने के बाद साफ होंगी। इसके लिए 31 मार्च 2017 को काउंसिल की बैठक होनी है। GST को इस तरह समझें...
GST को ऐसे समझिए, बिल के पास होने के मायने
- 1 जुलाई से जीएसटी लागू होने की उम्मीद।
- वन नेशन-वन टैक्स की 17 साल से जारी टैक्स रिफॉर्म की कोशिश कामयाब होगी। सबसे पहले वाजपेयी सरकार ने 2000 में जीएसटी के बारे में सोचा था।
- 20 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स खत्म होंगे। ये देश के लिए ऐतिहासिक होगा।
1) टैक्स देने-लेने वाले यानी जो टैक्स देंगे और जिन्हें यह वसूलना है
GST Rates in Hindi 2017
अधिकतम टैक्स40फीसदी -जीएसटी काउंसिल ने हालांकि टैक्स की चार दरें 5, 12, 18 और 28 फीसदी की तय की हैं। लेकिन अगर कोई बड़ी जरूरत पड़ती है तो इसे तो इसे बढ़ा कर 40 फीसदी भी किया जा सकता है। इस बात का प्रावधान अभी से जीएसटी बिल में किया गया है। हालांकि अभी जीएसटी की अधिकतम दर 28 फीसदी ही रहेगी।...पान मसाला पर मैक्सिमम 135 फीसदी, सिगरेट पर 290 फीसदी, लग्जरी कार और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर 15 फीसदी तक सेस लगाने का प्रावधान है।- सेंट्रल टैक्स: एक्साइज ड्यूटी, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल कस्टम ड्यूटी।
- राज्यों के टैक्स:वैट, ऑक्ट्रॉय, एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्जरी टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स।
2) टैक्स न देने पर यानी किसी ने गड़बड़ी की तो सजा पहले से सख्त
सर्च और सीजर- अगर किसी कारोबारी ने लेनदेन की जानकारी छिपाई या इनपुट टैक्स क्रेडिट ज्यादा क्लेम किया तो ज्वाइंट कमिश्नर या ऊपर का अधिकारी जांच का आदेश दे सकता है। गिरफ्तारी का आदेश कम से कम कमिश्नर स्तर का अफसर ही दे सकता है।
अभी ये होता है:ऐसा ही है। एक्साइज में एडजुडिकेशन असिस्टेंट कमिश्नर, वैट में असिस्टेंट सेल्स टैक्स अफसर से शुरू होता है।
- बिना इनवॉयस के सप्लाई, गलत इनवॉयस, टैक्स लेकर 3 महीने में जमा नहीं करना, गलत तरीके से टैक्स क्रेडिट या रिफंड लेना, खातों में हेरा-फेरी, टर्नओवर कम बताना अपराध होगा। इन पर कम से कम 10,000 रु. जुर्माना। अपराध में मदद करने वालों पर 25,000 रु. तक जुर्माना। रिटर्न से जुड़ी जानकारी तय समय में नहीं देने पर 5,000 रु. तक जुर्माना लगेगा। गलत जानकारी देने पर 25,000 रु. तक जुर्माना लग सकता है।
- टैक्स चोरी, गलत टैक्स क्रेडिट या गलत रिफंड की रकम 5 करोड़ रु. से ज्यादा है तो 5 साल तक की जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है। यह रकम 2 से 5 करोड़ रु. के बीच है तो 3 साल जेल और जुर्माना होगा। रकम 1 से 2 करोड़ के बीच है तो 1 साल जेल और जुर्माना लगेगा।
- दूसरी या उससे ज्यादा बार गलती पकड़े जाने पर 5 साल तक जेल और जुर्माना लगेगा। गलती कंपनी की है तो कंपनी के साथ उसके प्रमुख को भी दोषी माना जाएगा और सजा होगी। इनमें कंपनी के डायरेक्टर भी शामिल होंगे। ट्रस्ट के मामलों में मैनेजिंग ट्रस्टी और या एलएलपी के पार्टनर जिम्मेदार होंगे।
3) टैक्स देने और रिफंड की प्रोसेस
- सप्लाई के वक्त चुकाना होगा: जीएसटी प्रोडक्ट या सर्विस की सप्लाई के वक्त देना होगा। सप्लाई या पेमेंट की तारीख में से जो पहले होगा, उसे माना जाएगा। वैल्यू में टैक्स, ड्यूटी, सेस, फीस, कमीशन, ब्याज या लेट फीस और सब्सिडी भी शामिल होंगे।
- टैक्स रेट में बदलाव:बिल जारी होने के बाद टैक्स रेट बदला और पैसे रेट बदलने के बाद मिले तो पुराना रेट लगेगा। पैसे रेट बदलने से पहले मिल गए और इनवॉयस बाद में जारी हुआ तो नए रेट से टैक्स लगेगा।
- बिजनेस बेचने पर क्रेडिट भी ट्रांसफर:एक इनवॉयस के गुड्स किस्तों में मिलते हैं तो वह आखिरी किस्त मिलने के बाद क्रेडिट का दावा कर सकता है। इनवॉयस जारी होने के 1 साल बाद क्रेडिट क्लेम नहीं होगा। बिजनेस बेचने या विलय होने पर क्रेडिट ट्रांसफर होगा। अभी क्लेम के लिए वक्त तय नहीं है। हालांकि एक साल का समय भी इस काम के लिए बहुत ज्यादा है।
GST से ये होगा: हर महीने की बिक्री के बाद अगले महीने की 10 तारीख तक सप्लायर को इलेक्ट्रॉनिक रिटर्न फाइल करना होगा। तय समय के भीतर इसमें अमेंडमेंट किया जा सकेगा। सालाना रिटर्न 31 दिसंबर तक जमा करना होगा। रजिस्ट्रेशन रद्द हुआ तो रद्द होने के 3 महीने में फाइनल रिटर्न देना होगा। तय तारीख तक रिटर्न न भरने पर रोजाना 100 रु. और मैक्जिमम 5,000 रु. जुर्माना लगेगा।
- गुड्स एंड सर्विसेस के कुछ हिस्से का इस्तेमाल बिजनेस में और बाकी दूसरे काम में हुआ, तो सिर्फ बिजनेस वाले हिस्से पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा। यानी ऑफिस की कार का घरेलू इस्तेमाल होने पर कंपनी उसका टैक्स क्रेडिट नहीं ले सकती।
- हर रजिस्टर्ड व्यक्ति को टैक्स का सेल्फ असेसमेंट और रिटर्न फाइल करना होगा। टैक्स रेट के असेसमेंट के लिए अधिकारी से गुजारिश कर सकता है। अधिकारी को 90 दिनों में उसे जवाब देना होगा। तब तक प्रोविजनल टैक्स भरना होगा।
- गलत रिटर्न पाए जाने पर अधिकारी संबंधित व्यक्ति को जानकारी देगा। उसे 30 दिनों में सुधार करना होगा। नहीं तो कार्रवाई हो सकती है। नोटिस के बाद भी रिटर्न फाइल नहीं होने पर टैक्स अधिकारी असेसमेंट ऑर्डर जारी कर सकता है।
- मदद की व्यवस्था अब भी है। लेकिन कोई कारोबारी डर से नहीं जाता कि एक मामला पूछने गया तो दूसरे में फंस सकता है।